कभी प्लास्टिक की थैली मिलती थी, कभी टीन के डब्बे, फिर खाली प्लास्टिक बोतल से अच्छी कमाई हो जाती थी, कचरे बीनने से लोगों के जूठन धोने का उसका प्रमोशन, कमाई तो अच्छी करा देता था और उसमें ही उसकी खुशियां दौड़ जाती थी, पर उसकी ज़िन्दगी की सोच कंधे पर रखे उस बोरे तक सिमित नहीं थी। लोग सोते थे तो सपने आते थे पर उसकी आंखों के सपने उसे सोने ही नहीं देते थे। और ऐसी ही फैली पड़ी कतरने बीन कर विक्की के सपनों का सफर शुरू हुआ जो आज विश्वप्रसिद्ध फोटोग्राफर हैं।
इनकी प्रेरक कहानी सुनने के लिए देखें यह वीडियो।
यह कहानी है विक्की रॉय की। बचपन में खुद को अपनी परस्थितियों से आज़ाद करने के लिए, जेब में 1100 रूपए के साथ विक्की दिल्ली आ पहुंचा। लाखों की भीड़ में तेज़ भागते लोगों के बीच, शहर से अनजान एक मासूम, अचानक घबरा गया पर वो अकेला नहीं था, उस भीड़ में मिले उसे कुछ और बच्चे जिन्होंने उसे सलाम बालक ट्रस्ट भेजा।
सलाम बालक में रहने वाले बच्चों की ज़िन्दगी भी ताले में बंद थी इसलिए रॉय वहां से वापिस स्टेशन आ पहुंचा। कचरा बिन कर और जूठन धोकर कमाई करने से निराश हो रहा रॉय एक दिन सलाम बालक के स्वयं सेवक से मिला और फिर “अपना बालक” , सलाम बालक की ही एक ब्रांच में पढ़ाई के लिए चला गया। पढ़ाई से मुंह मोड़ कर रॉय ने ज़िन्दगी को “लेंस” से देखने का फैसला किया और सलाम बालक पर डाक्यूमेंट्री शूट कर रहे डिक्सी बेंजामिन से फोटोग्राफी की abc सीखी।
“फोटोग्राफी खुद में ही एक भाषा है उसके लिए इंग्लिश, फ्रेंच या जर्मन आने की ज़रूरत नहीं है ” बेंजामिन के इन शब्दों ने रॉय में उसके सपनों को जीने का उत्साह भर दिया। 18 साल की उम्र में सलाम बालक से बिदाई लेकर रॉय ने अनय मान दिल्ली के फोटोग्राफर के साथ तीन साल काम किया और फिर उसके सपनों का सफर शुरू हुआ , अपने बॉस के साथ फॉरेन ट्रिप्स पर जाना, 5 -स्टार होटल में रुकना।अंजाने में ही सही लेकिन रॉय ने वो सब हासिल किया जो यह कहने पर मजबूर कर दे कि कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं होता।
रॉय के अचीवमेंट्स में Photo Exhibition (स्ट्रीट- ड्रीम्स ), वर्ल्ड वाइड कम्पटीशन 2008 के विजेता बनकर ICP में फोटोग्राफी की पढाई , WTC का शूट, ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग अवार्ड से नवाज़ा जाना, प्रिंस एडवर्ड के साथ बकिंघॅम पैलेस में लंच, “होम स्ट्रीट होम” उनकी पहली फोटोग्राफी बुक शामिल हैं।
रॉय ने अपने दोस्त के साथ मिलकर 2011 में एक फोटो लाइब्रेरी खोली जहां फोटोग्राफी बुक्स फ्री में उपलब्ध करवाई जाती है।
ज़मीन से जुड़े, अपने कल के एहसास को ज़िंदा रखे हुए, आंखों में ना रुकने वाले वो सपने, हालातों को अपने सामने झुका कर, परिश्रम नाम की उस चाबी से उसने अपनी किस्मत के दरवाज़े खोले और आज एक 27 साल के विक्की रॉय विश्वप्रसिद्ध फोटोग्राफर का खिताब अपने नाम कर चुके हैं।