इंसान के निर्णय सदैव ही उसकी प्रत्येक ज़रूरत या फिर सुविधा अनुसार ही लिए जाते हैं। अनेकों बार लोग 2 चीज़ों के बीच फस भी जाते हैं। इस स्थिति में ज़्यादातर लोग अपने निर्णय खुद लेने में असमर्थ होते हैं और किसी दूसरे पर आश्रित हो जाते हैं। वहीँ देखा जाए तो एक सफल और सक्षम व्यक्ति वही होता है जो अपने निर्णय किसी दुविधा में फसे बिना स्वयं ले सके। इस बात में फसे रहना कि यह हमारे लिए सुविधाजनक है या नहीं, हम यह सोचकर अपने सुविधा क्षेत्र से निकलना ही नहीं चाहते। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे उचित निर्णय लिए जाएं और उनका क्या महत्तव है।
कैसे लाएं विचारों में स्पष्टता?
किसी भी विषय पर निर्णय लेते समय या किन्हीं दो बातों के बीच चुनाव करते समय हमारे विचारों कि स्पष्टता अति आवश्यक होती है। यदि हमारे दिमाग में सही तर्क नहीं होंगे तो हम निर्णय ले ही नहीं सकते हैं। इसीलिए हमें निर्णय लेते वक़्त दोनों विकल्पों के बारे में तर्क सहित विचार करना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या उचित है। दस लोगों से बात करने की वजह केवल कुछ विशेषज्ञों से ही राय लें। जितना हो सके उतना चीज़ों का गहराई से पता लगाएं और फिर निर्णय लें।
आप क्या चाहते हैं ?
खुद से यह प्रश्न पूछिए कि आप क्या चाहते हैं। बहुत सी बार ऐसा होता है कि हम कोई ऐसा कार्य या नौकरी करने में जीवन बिता देते हैं जो हम करना ही नहीं चाहते। उस कार्य को करने से ना तो हमारा कोई व्यक्तिगत विकास होता है और नाहीं कार्य क्षेत्र में कोई तरक़्क़ी मिलती है। हम काम बस इसलिए कर रहे होते हैं क्योंकि हमें वेतन मिल रही होती है और कुछ नहीं। असल में देखा जाए तो हम खुद खर्च हो रहे होते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि आप खुद से सवाल पूछें कि आखिर आप क्या चाहते हैं और फिर किसी विषय पर निर्णय लें।
जोखिम उठाने से ना डरें !
यह आवश्यक नहीं की आपका हर फैसला सही ही हो। इन्सान जन्म से ही सब कुछ सीख कर नहीं आता। गल्तियां करता है और फिर उसके काम में पूर्णता आती है। अपनी सोच और समझ के साथ ही निर्णय लें, लेकिन इतना भी ना सोचें कि आप दुविधा में फस जाएं। जो आपका दिल कहे और दिमाग कहे हाँ सही है, बस उसे चुनें और फिर गलत भी निकलता है तो कोई नहीं गल्तियों से ही सीख मिलती है। दृढ़ता के साथ निर्णेय लेने की आदत डालें और उसपर अमल करें, इससे आपको आत्मविश्वास भी मिलेगा और निर्णय लेने में आसानी होगी।