दृष्टिकोण में परिवर्तन होगा तभी यह समाज बदलेगा।

दृष्टिकोण यानी आपके और हमारे नज़रिए का परिवर्तन ही सबसे बड़ा परिवर्तन है। अपनी सीमा के संकीर्ण दायरे को बढ़ाकर विशाल क्षेत्र तक विकसित करने का नाम ही विकास है। लेकिन क्या हमारे देश का समाज वास्तविकता में विकास कर रहा है? इस सवाल का जवाब है नहीं। केवल इकोनॉमिक स्तर पर तरक़्क़ी कर लेने से देश की सोच व मनुष्य का विकास नहीं होता है।

क्या है इस समाज की सोच?
समाज में घटित होती आ रहीं बहुत सी घटनाएं जो हमारे समाज का मानसिक स्तर साफ़ तौर पर दर्शाती हैं। यौन-शोषण, धर्म विभाजन, कचड़ा साफ़ करना हमारा काम नहीं है, लड़का-लड़की साथ घूम रहे हैं तो कुछ गड़बड़ ही है, लड़की के साथ छेड़-छाड़ हुई तो कारण उसके कपड़े होंगे, लव मैरिज तो पाप है और पता नहीं क्या-क्या, इस समाज के लोगों की छोटी सोच ही है जिसके कारण देश विकास कर ही नहीं पा रहा है। इस को बदलने के लिए आंदोलन नहीं बल्कि लोगों के दिमाग के दरवाज़े खोलने की ज़रूरत है। छोटी सोच अज्ञानता के कारण ही होती है, यदि लोग पढ़े-लिखे होंगे तो वो नई चीज़ों से अवगत होंगे और बढ़ती सोच के साथ खुद भी नया वक़्त अपना पाएंगे।

क्या है देश के मीडिया की जिम्मेदारी?
एक जगह से दूसरी जगह लोगों तक हर प्रकार की बात मीडिया द्वारा ही पहुँचती है। वहीँ हाल में ही हुए आसिफा रेप केस को मीडिया ने धर्म का मुद्दा बनाकर दिखा दिया, जो की सरासर गलत था । यौन शोषण होना किसी धर्म का कारण बिल्कुल भी नहीं है। इस मुद्दे को लेकर देश के कानून पर सवाल उठाए जा सकते थे, लोगों को जागरूक किया जा सकता था लेकिन मीडिया ने तो केवल हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे पर ही ध्यान दिया। भारत देश के कानून के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाना इस मीडिया का ही काम है। हमारी ज़िम्मेदारी भी बराबर की है कि हम कोई भी गलत काम न होने दें और नाही खुद से करें।

कैसे बदलेगा समाज?
बेटे और बेटी दोनों को ही सामान अवसर दो। लड़के-लड़कियों से अधिक मजबूत हैं यह टिप्पणी करना बंद करो। दोष कपड़ो में नहीं लोगों की नज़रों में है यह बात मान लो। अपने आस-पास की सफाई तुम्हारी ही ज़िम्मेदारी है और ऐसा करने से तुम छोटे नहीं हो जाओगे। घर बनाने के लिए पेड़ काट रहे हो तो उन्हें लगाना मत भूलना। बदलाव की शुरुवात तुम्हारे ही घर से और तुमसे ही होगी तो आज ही फैसला करो ऐसा ही भारत चाहिए या सच में विकास करना चाहते हो।

Tension Free रहोगे तो ज़िन्दगी आसान होगी!

खुश रहने का मतलब यह नहीं होता कि आपके जीवन में कोई दुःख है ही नहीं बल्कि उसका मतलब यह है कि आप अपनी परेशानियों और दुःख से उठकर जीने की हिम्मत रखते हैं।
Tension हम सभी की ज़िन्दगी का वो शब्द है जिससे हम दिन में ना जाने कितनी ही बार गुज़रते हैं। देखा जाए तो ज़्यादातर लोग उतने ही खुश रहते हैं, जितना वो अपने दिमाग में तय कर लेते हैं। यदि हम इससे थोड़ा ज़्यादा करें, थोड़ा और खुश रहने की कोशिश करें तो क्या पता ज़िन्दगी और आसान एवं बेहतर हो जाए। एक बार आज़माने में क्या जाता है।

हँसने – मुस्कुराने की आदत डाल लो।

ज़िन्दगी में एक सबसे महत्त्वपूर्ण बात है कि हमें हँसने-मुस्कुराने की आदत डाल लेनी चाहिए।
हँसते हुए चेहरे में कभी तनाव नहीं होता और हँसते-मुस्कुराते हुए कार्य करने से हमारी कार्य करने की क्षमता भी बढ़ जाती है। चिकित्सकों के अनुसार – हँसना मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा प्राकृतिक पोषण है। इसी कारण डॉक्टर अक्सर यही सलाह देते हैं कि खुश रहिए और मुस्कुराते रहिए तो ज़िन्दगी सरल होगी।
जोश Talks स्पीकर विपिन शर्मा ने कहा- “एक मुस्कराहट सौ मुश्किलों को हरा देती है।”

सफलता में रुकावट होती है Tension!

एक आम जीवन व्यतीत करने वाला व्यक्ति क्यों हमेशा खुश रहता है और हम जो सफलता के पीछे भागते हैं उन्हें हज़ारों बातों का तनाव होता है। जवाब यह है कि वो आम व्यक्ति अपने व्यक्तित्व के अनुसार सफल हो चुका होता है किन्तु हम सभी सफलता प्राप्त करने की दौड़ में खुद को खुश रखना भूल जाते हैं और हमारे पास बचता है तो बस तनाव। अब यदि तनाव लेकर बैठेंगे तो हम कैसे अपनी रचनात्मक कला का इस्तेमाल करके सफलता पा सकेंगे। कुछ अच्छा करने के लिए एक खुश मन का होना बेहद आवश्यक है। तो आज से ही अपना काम चेहरे पर मुस्कान के साथ करिए।
जोश Talks स्पीकर कुसुम तोमर ने कहा- “जब तक सांस है, तब तक हंस कर लड़ो।”

कैसे रहे तनाव मुक्त?

अब हमने ऊपर यही पड़ा की टेंशन ना लेने से क्या होता है लेकिन टेंशन फ्री कैसे रहें?
इस सवाल का जवाब बिल्कुल आसान है और इसका जवाब हमारे पास ही होता है क्योंकि टेंशन तभी आती है जब हम अपने काम को समय पर पूर्ण करने में असफल होते हैं। ऐसा क्यों होता है जब हम अपना समय इधर- उधर की बातों में बर्वाद करते हैं तो ऐसा होना स्वाभाविक है कि तनाव होगा ही। इसका एक मात्र उपाय है कि आप अपने निशदिन किए जाने वाले काम में दिए जाने वाले समय का उचित विभाजन करें। कोनसा कार्य कितना ज़रूरी है उस अनुसार काम को ख़तम करें और अंतिम समय के लिए कुछ भी शेष ना रखें, प्रत्येक कार्य की प्राथमिकता निश्चित करना आपकी ज़िम्मेदारी है ताकि कोई अनावश्यक कार्य सिर पर ना आए। सदैव कोशिश यही रहनी चाहिए की इन बातों को आदत में लाया जाए साथ ही दिमाग में यह बिठा लिया जाए कि Tension लेने से कोई भी कार्य या समस्या का हल प्राप्त नहीं होता है।
जोश Talks स्पीकर श्याम पालीवाल ने कहा – “आज का काम आज ही करो, कल पर मत छोड़ो।”