मेरे पति ने मेरे चेहरे पर तेज़ाब डाल दिया और फिर भी समाज के लिए वो मेरा परमेश्वर ही था, ऐसे लोग ना सिर्फ समाज के लिए बोझ होते हैं बल्कि आने वाली पूरी नस्ल के लिए भी। एक औरत का असतित्व ना तो सिर्फ उसके चेहरे से होता है और ना महज़ उसके पति से।
अपने अतीत के अनुभवों को कुछ यूंही समाज के मुंह पर तमाचा मारने के लहज़े से बताती हैं लखनऊ के सद्भावना ट्रस्ट से जुड़ी मीना सोनी। मीना पर वर्ष 2004 में उनके पति ने तेज़ाब फेंक दिया था। इस घटना के बाद किसी ने सहारा नहीं दिया, लेकिन मीना ने अपनी लड़ाई लड़ी और ना सिर्फ अपने बच्चों का पालन पोषण किया बल्कि खुद जैसी कई और महिलाओं के लिए एक मिसाल और सहारा बनी।
मीना पिछले 7 सालों से लखनऊ की सेंट्रल जेल में उन महिलाओं के साथ काम कर रही हैं जिनको इस तथाकथित समाज से तिरस्कार के अलावा और कुछ नहीं मिलता। मीना के प्रयास से अब तक 27 से ज़्यादा महिलाओं को जेल से रिहा करवाया गया और उनके पुनर्वास का ज़िम्मा उठाया गया है ।
इस जोश टॉक में मीना बताती हैं कि कैसे उन्हें खुद के साथ हुई घटना के बाद हिम्मत मिली और उन्होंने खुद की एक अलग पहचान बनाई। वो ये भी बताती हैं कि क्यों वो अपना चेहरा किसी से नहीं छिपाती हैं।