“फिल्म मुझे नहीं मैं फिल्म को बनाऊंगा” : रामेश्वर भट्ट

स्पाइडर मैन की फिल्म देखी तो स्पाइडर मैन बनना था, मैरी कॉम देखी तो सबसे लड़ना था, भाग मिल्खा भाग देखी तो सारी मारथौंस दौड़नी थी  अर्थात जो भी देखता था वही बनना चाहता था।
अक्सर ऐसा होता है बचपन में हम जो भी फिल्म के किरदार देखते थे हमें वैसा ही बनना होता था। ऐसा ही कुछ होता था अहमदाबाद के रामेश्वर भट्ट के साथ। वे कोई भी फिल्म देखते थे तो उन्हें उसी के किरदार में ढल जाने का बड़ा शौक था। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि आज वे एक 15 वर्षीय अवार्ड विजेता फिल्मकार बन चुके हैं। इनकी दिलचस्प कहानी जानने के लिए देखें यह जोश Talk

अहमदाबाद के रहने वाले रामेश्वर भट्ट एक आकांक्षी फिल्म निर्माता हैं। बचपन से ही खुद को फिल्म के किरदारों में ढालते आ रहे रामेश्वर को एक दिन उनके माता-पिता ने समझाया कि तुम दूसरों की तरह क्यों बन रहे हो, इसमें तुम्हारी पहचान तो कहीं है ही नहीं, इसमें रामेश्वर तो है ही नहीं। उस दिन के बाद से रामेश्वर ने ठान लिया था कि फिल्म उन्हें क्यों बनाएगी वो खुद फिल्म को बनाएंगे
और फिर कुछ ही समय बाद उनके घर पर उनकी माँ की सहेली की बेटी आई जो खुद जगह-जगह जाकर डाक्यूमेंट्री बनाया करती थीं। रामेश्वर ने पहली बार कैमरा, कैमरा स्टैंड, लेंस आदि देखे और जाना कि फिल्म ऐसे बनती हैं। उन्होंने अपनी पहली स्क्रिप्ट गुजराती में लिखी जो की गुजरात सरकार द्वारा पुरूस्कार प्राप्त कर चुकी है।
फिर कुछ समय के बाद जब उनके पास कैमरा नहीं था उन्हें एक फ़ोन मिला और आज तक वे संसाधन पर आश्रित हुए बिना अनेकों शार्ट फिल्म्स और डाक्यूमेंट्री बना चुके हैं। साथ ही उनकी फिल्मों को गुजरात राज्य सरकार एवं UN – World Bank Connect4climate group द्वारा पुरूस्कार प्राप्त हो चुके हैं। रामेश्वर मुंबई के बहुत से फिल्म निर्माण स्टूडियो में ट्रेनिंग लेते रहते हैं। रामेश्वर अपने Iphone पर ही वीडियो रिकॉर्ड करते हैं और उन्हें vlogs, वीडियो प्रयोग, थीम शॉट्स, इंटरव्यू, डॉक्यूड्रामा में बदल कर YouTube पर डालते हैं या फिर फिल्म प्रतियोगिताओं में भेजते हैं।
उनका मानना है कि- जो उपलब्ध है उसका श्रेष्ठा उपयोग करो

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